प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वंगाष्टक संज्ञा पुं॰ [सं॰ वङ्गाष्टक] एक रसौषध जिसमें राँगा आदि आठ धातुएँ एक साथ मिलाकर फूँकी जाती हैं । यह प्रमेह रोग पर दिया जाता है । विशेष—पारा, गंधक, लोहा, चाँदी, खपरिया, अभ्रक और ताँबा बराबर लेकर जितना सब हो, उतना राँगा लेकर सब को एक साथ मर्दन करके गजपुट द्वारा फूँकते हैं । जब भस्म हो जाता है, तब उसको वंगाष्टक कहते हैं । वंगाष्टक की मात्रा दो रत्ती है; और मधु, हलदी के चूर्ण तथा आमले के रस में इसे खाते हैं ।