प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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लोभ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ लुब्ध, लोभी]

१. दूसरे के पदार्थ को लेने की कामना । —तृष्णा । लिप्सा । स्पृहापर्या॰ । कांक्षा । गर्द्ध । इच्छा । वांछा । अभिलाषा ।

२. जैन दर्शन के अनुसार वह मोहनीय कर्म जिसके कारण मनुष्य किसी पदार्थ को त्याग नहीं सकता । अर्थात् यह त्याग का वाधक होता है । अधैर्यता । अधीरता (को॰) ।

४. कृप- णता । कजुंसी ।