प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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लोप संज्ञा पुं॰ [सं॰] [संज्ञा लोपन] [वि॰ लुप्त, लोपक, लोप्ता लोप्य]

१. नाश । क्षय ।

२. विच्छेद । जैसे,—कर्म का लोप होना ।

३. अदर्शन । अभाव ।

४. व्याकरण के चार प्रधान नियमों में से एक, जिसके अनुसार शब्द के साधन में किसी वर्ण को उड़ा देते हैं । जैसे,—अभिधान में अ का लोप करके पिधान शब्द बनाया जाता हैं ।

५. छिपना । अंतर्धान होना । उ॰—बहु बरषि आयुघ बारिधर सम दियो पटरथ लोप कै ।—गिरिधर (शब्द॰) ।

६. तोड़ना । भंग (को॰) ।

७. अतिक्रमण । उल्लंघन (को॰) ।

८. अवहेलना । उपेक्षा (को॰) ।

९. व्याकुलता । आकुलता (को॰) ।