लोना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनलोना पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ लवण या लोण]
१. लवण । नमक । मुहा॰—किसी का लोन खाना = अन्न खाना । पाला जाना । दास होना । उ॰—पाछे कह्वौ लंकापति सुनो हनुमान कपि रामचंद्र ही को एक तही लोन खायो है ।—हनुमान्नाटक (शब्द॰) । किसी का लोन निकलना = नमकहरामी का फल मिलना । अकृतज्ञता का फल पाना । उ॰—तातेमन पोखियत घोर बरतोर मिसि फुटि फुटि निकसत है लोन राम राय को ।—तुलसी (शब्द॰) । किसी का लोन न मानना = किसी का उपकार न मानना । कृतघ्न होना । उ॰—नैनन को अब नाहिं पत्याऊँ । बहुर्यो उनको बोलति हों तुम हाइ हाइ लीजै नहिं नाऊँ । अब उनको मै नाहिं बसाऊँ मेरे उनको नाहीं ठाऊँ । व्याकुल भई डोलत हौं ऐसेहि वे जहँ हैं महाँ नहिं जाऊँ । खाइ खवाइ बड़े जब कीन्हें बसे जाइ अब और हिं गाऊँ । अपनो कियो आप पावैंगे मैं काहे उनको पछिताऊँ । जैसे लोन हमारो मान्यो कहा कहौं कहि काहि सुनाऊँ । सुरदास मैं इन बिन रहिहौं कृपा करैं उनको सरमाऊँ ।—सूर (शब्द॰) । जले पर लोन लगाना या देना = दुःख पर दुःख देना । दुखी को दुखी करना । उ॰—अति कटु बचन कहै कैकेई । मानो लोन जले पर देई ।—तुलसी (शब्द॰) । किसी बात का लोन सा लगना = अरुचिकर होना । अप्रिय होना । उ॰—राजै लोन सुनाव लागहुँ हुँ जस लोन । आइ कुँहाइ महिर कहँ सिंह जान औ गौन ।—जायसी (शब्द॰) । लोन चराना = नमकीन बनाना । जैसे,—आम को लोन चराना ।
२. सौंदर्य । लावण्य । उ॰—जो उन महँ देखेसि इक दासी । देखि लोन होय लोन बिलासी ।—जायसी (शब्द॰) । विशेष दे॰ 'नमक' ।
लोना ^१ वि॰ [हिं॰ लोन] [भाव॰ संज्ञा लोनाहि]
१. नमकीन । सलोना ।
२. सुंदर । उ॰—(क) लालन जोग लवन अति लोने । भे न भाई अस अहहि न होने ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) नाउन अति गुन खानि तौ बेगि बोलाइहो । करि सिंगार अति लोनि तौ बिहँसति आइहो ।—तुलसी (शब्द॰) ।
लोना ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ लोन]
१. एक प्रकार का रोग जो ईंट, पत्थर और मिट्टी की दीवारों में लगता है । नोना । विशेष—इससे दीवार झड़ने लगती और कमजोर हो जाती है; थोड़े दिनों में उसमें गड्डे पड़ जाते हैं; और वह कटकर गिर पड़ता है । यह रोग प्रायः नींव के पास के भाग में आरंभ होता है और ऊपर की और बढ़ता है । क्रि॰ प्र॰—लगना ।
२. वह धूल या मिट्टी जो लोना लगने पर दीवार से झड़कर गिरती है । यह खेत में डाली जाती है और खाद का काम देती है ।
३. नमकीन मिट्टी, जिससे शोरा बनाया जाता है ।
४. वह क्षार जो चने की पत्तियों पर इकट्ठा होता है और जिसके कारण उसकी पत्तियाँ चाटने पर खट्टी जान पड़ती है ।
५. एक प्रकार का कीड़ा जो घोंधे की जाति का होता है और प्रायः नाव के पेंदे में चपका हुआ मिलता है ।
६. अमलोनी नाम की घास जिसे रसायनी धातु सिद्ध करने के काम में लाते हैं । उ॰—(क) कहाँ सो खोएहु विरवा लोना । जेहि तें होइ रुप औ सोना ।— जायसी (शब्द॰) । (ख) जहँ लोना विरवा कै जाती । कहि कै सँदेस आन को पाती ।—जायसी (शब्द॰) ।
लोना ^३ क्रि॰ स॰ [सं॰ लवण] फसल काटना । उ॰—बीज बोई जोई अँत लोनिए सोइ समुझि यह बात नहिं चित धरई ।—सुर (शब्द॰) ।
लोना ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक कल्पित स्त्री जो जाति की चमार और जादू टोने में बहुत प्रवीण कही जाती है । नोना चमाइन । उ॰—तू काँवरु परा बस टोना । भूला जोग छरा तोहि लोना—जायसी (शब्द॰) ।
लोना पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ नवनीत] लौनी । मक्खन । नवनीत ।