लताड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लथाड़] दे॰ 'लथाड़' । मुहा॰—लताड़ बताना= भर्त्सना करना । झिड़ कियाँ सुनाना । उ॰—अलंकार प्रेमियों की लताड़ वताकर शुक्ल जी ने उन्हें सावधान कर दिया है कि हैसियत से बाहर न बोला करें ।—आचार्य, पृ॰ १३५ ।