लटकाना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनलटकाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ लटकना]
१. किसी ऊँचे स्थान से एक छोर लगा या टिकाकर शेष भाग नीचे तक इस प्रकार ले जाना कि ऊपर का छोर किसी आधार पर टिका हो और नीचे का निराधार हो । जैसे,—छव में फानुस लटकाना; कूएँ में डोरी लटकाना । संयों क्रि॰—देना ।—लेना । विशेष—'टाँगना' और 'लटकाना' इन दोनों शब्दों के मूल भाव में अंतर है । 'टाँगता' शब्द में किसी ऊंचे आधार पर टिकाने या अड़ाने का भाव प्रधान है और 'लटकाना' शब्द में ऊपर से नीचे तक फैलनि या हिलाने डुलाने का । जैसे—(क) धोती और नीचे तक लटका दो । (ख) कुएँ में डोरी लटका दो ।
२. किसी ऊँचे आधार पर इस प्रकार टिकाना कि टिके या अड़े हुए छोर के अतिरिक्त और सब भाग अधर में हों । एक छोर या अंश ऊपर टिकाना जिससे कोई वस्तु जमीन पर न गिरे । टाँगना । जैसे,—अँगरखा खूँटी में लटका दो ।
३. किसी खड़ी वस्तु को किसी ओर झुकाना, लचकाना या नम्र करना ।
४. किसी का कोई काम पूरा न करके उसे दुबधा में डालना । आसरे में रखना । इतजार कराना । जैसे,—उसे क्यौं लटकाए हो; जो कुछ देना हो, दे दो ।
५. किसी काम को पूरा न करके डाल रखना । देर करना ।