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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

लघन संज्ञा पुं॰ [सं॰ लङ्घन]

१. उपवास । अनाहार । फाका । कुछ न खाना । उ॰—(क) जिन नैनर को है सही मोहन रूप अहार । तिनकौ वैद बतावहीं लंघन को उपचार ।—रसनिधि (शब्द॰) (ख) धाम धाम माँगै भीख लंघन सुनाई है ।— रघुराज (शब्द॰) ।

२. लाँघने की क्रिया । डाँकना ।

३. अतिक्रमण ।

४. घोड़े की एक चाल जिसमें वह बहुत तेज चलता है ।

५. वह उपाय जिसमें किसी काम में लाघव या सुभोता हो ।

६. संभोग । संप्रयोग (को॰) ।