रोह
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनरोह ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चढ़ना । चढ़ाई ।
२. कली । कुडमल ।
३. अंकुर । अर्खुवा ।
४. निकलना । उगना । अंकुरित होना (को॰) ।
५. उत्पत्ति का निदान या निमित (को॰) ।
६. सवार (को॰) ।
रोह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ ऋश्य, प्रा॰ रोज्झ, रोह] नील गाय । उ॰— रोह मृगा संशय बन हाँके पारथ बाना मेलै ।—कबीर (शब्द॰) ।
रोह पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ रोह ( =अंकुर) अथवा रोध ( =रोक)] घाव भरने के समय बँधनेवाली पपड़ी । अंगुर । अकुर । उ॰— विरह कुल्हारी तन बहै, घाव न बाँधे रोह । मरने का संसय नहीं, छुट गया भ्रम मोह ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ४७ ।