प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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राशि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक ही तरह की बहुत सी चीजों का समूह । ढेर । पुंज । जैसे,—अन्न की राशि । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—लगाना । मुहा॰—राशि बैठना = गोद बैठना । दत्तक पुत्र होना ।

३. क्रांतिवृत्त में पड़नेवाले विशिष्ट तारासमूह जिनकी संख्या बारह है और जिनके नाम इस प्रकार हैं—मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुंभ और मीन । विशेष—आकाश में पृथ्वी जिस मार्ग से होकर सूर्य की परिक्रमा करती है, वह क्रांतिवृत्त कहलाता है । परंतु पृथ्वी पर से देखने पर साधारणतः यही जान पड़ता है कि सूर्य ही उस क्रांतिवृत्त पर होकर चलता और पृथ्वी की परिक्रमा करता है । इस क्रांतिवृत्त पर दोनों ओर प्रायः ८० अंश तक अनेक तारासमूह फैले हुए हैं । इनमें से प्रत्येक तारासमूह में से होकर गुजरने में सूर्य को प्रायः एक मास लगता है; इसी विचार से समस्त क्रांतिवृत्त बराबर बराबर बारह भागों में बाँट दिया गया है जिन्हें राशि कहते हैं । प्रत्येक तारासमूह की आकृति के अनुसार ही उनका नाम भी रख लिया गया है और उसमें के तारे भी गिन लिए गए हैं । जैसे,—मेष कहलानेवाली राशि का आकार भी मेष या भेड़े के समान है और उसमें ६६ तारे हैं । इसी प्रकार १४१ तारों के एक समूह का आकार वृष या बैल के समान है; और इसी लिये उसे वृष कहते हैं । फलित ज्योतिष में भिन्न भिन्न राशियों के भिन्न भिन्न स्वरूप, वर्ण, स्वभाव, गुण, कार्य, अधिपति, देवता आदि दिए ग ए हैं और उनमें से प्रत्येक में जन्म लेने का अलग अलग फल कहा गया है । विद्वानों का अनुमान है कि राशिविभाग भारतीय आर्यों के प्राचीन ज्योतिष में नहीं था, केवल नक्षत्रविभाग था । राशिविभाग बाबुलवालों से लिया गया है । वैदिक साहित्य में राशियों के नाम नहीं हैं, केवल नक्षत्रों के नाम हैं । विशेष दे॰ 'नक्षत्र' । मुहा॰—राशि आना = अनुकूल होना । मुआफिक होना । राशि मिलना = (१) दो व्यक्तियों का एक ही राशि में जन्म होना । (२) मेल मिलना । पटरी बैठना ।