प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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रामायण संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह ग्रंथ जिसमें रामचरित वर्णित हो । रामचंद्र के चरित्र से संबंध रखनेवाला ग्रंथ । विशष—संस्कृत में रामायण नाम के बहुत ग्रंथ हैं, जिनमें से वाल्मीकि कृत रामायण सबसे प्राचीन और अधिक प्रसिद्ध है । यह आदिकाव्य है और इसके रचयिता वाल्मीकि आदिकवि हैं । वाल्मिकी ऋषि रामचंद्र के समकालीन थे; अतः उनका ग्रंथ रामायण सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है । इसमें सात कांड हैं जिनमें से प्रत्येक कांड अनेक सर्गों में विभक्त है । साधारणतः भारत में तीन प्रकार के वाल्मीकीय रामायण पाए जाते हैं—औदीच्य, दाक्षिणात्य और गौड़ीय । इन तीनों रामायणों के सर्गों की संख्या और पाठ आदि में बहुत कुछ अंतर हैं । इतने प्राचीन काव्य की भिन्न भिन्न प्रतियों में इतना अधिक अंतर होना स्वाभाविक भी है । बहुत कुछ इसी रामायण के आधार पर और स्थान स्थान पर अन्यान्य रामायणों की सहायता लेकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने 'रामचरितमानस' नामक जो प्रसिद्ध भाषाकाव्य लिखा है उसका बोध भी इस 'रामायश' शब्द से होता है । वाल्मीकि कृत रामायण के अतिरिक्त अध्यात्म रामायण आदि जो कई रामायण है, वे सांप्रदायिक हैं ।