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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

रामलीला संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. राम जी के जीवनकाल के किसी कृत्य का नाट्य । राम के चरित्रों का अभनिय ।

२. एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में ३४ मात्राएँ होती हैं और अंत में 'जगण' का होना आवश्यक होता है । उ॰—अजर अमर अंनत जय जय चरित श्री रघुनाथ । करत सुर नर सिद्ध अचरज श्रवण सुनि सुनि गाथ । काय मन बच नेम जानत शिला सम पर नारि । शिला ते पुनि परम सुंदर करत नेक निहारि ।—केशव (शब्द॰) ।