प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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राजदूत संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह पुरुष जो एक राज्य की ओर से किसी अन्य राज्य में संधि या विग्रह संबंधी अथवा अन्य नेतिक कार्य संपादन करने के लिये या किसी प्रकार का सँदेसा देकर भेजा जाता है । विशेप—चाणक्य का मत है कि मेधावी, वाक्वाटु, धीर, पर- चित्तीपलक्षक तथा यथोक्तवादी पुरुष की राजदूत नियत करना चाहिए । प्राचीन काल में आवश्यकता पड़ने पर ही राजदूत एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे जाते थे; पर पश्चिमी देशों में यह प्रथा है कि मित्र राज्यों में राजाओं के राजदूत परस्पर एक दूसरे के यहाँ रहा करते है और उन्हीं के द्वारा सारा कार्य संपादित होता है । दो राज्यों के बीच युद्ध छिड़ने पर दोनों एक दूसरे के यहाँ से अपने अरने राजदूत बुला लेते हैं ।