राक्षस

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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राक्षस संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ राक्षसी]

१. निशाचर । दैत्य । असुर ।

२. कुबेर के धनकोश के रक्षक ।

३. कोई दुष्ट प्राणी ।

४. साठ संवत्सरों में से उनचासवाँ संवत् ।

५. वैद्यक में एक रस जो पारे और गंधक के योग से बनता है । विशेष—यह रस पेट की बादी दूर करता और भूख बढ़ाता है ।

६. एक प्रकार का विवाह जिसमें कन्या के लिये युद्ध करना पड़ता है । यौ॰—राक्षस विवाह=विवाह का एक प्रकार जिसमें युद्ध में कन्या का हरण करके बिवाह करते हैं । जैसे,—कृष्ण रुकिमणी और पृथ्वीराज संयोगिता का बिवाह ।

७. ज्योतिष में एक योग का नाम (को॰) ।

८. तीसवाँ मुहूर्त (को॰) ।

९. राजा नंद का एक अमात्य ब्राह्मण जो कूटनीति कै बहुत बड़ा ज्ञाता था ।