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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

रहने की जगह । उ॰—चारि भाँति नृपता तुम कहियो । चारि मंत्रिमत मन में गहियो । राम मारि सुर एक न बचिहै । इंद्रलोक बसोबासहिं रचिहैं ।—केशव (शव्द॰) ।