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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

रत्नगिरि संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बिहार के एक पहाड़ का प्राचीन नाम, जिस पर मगध देश की पुरानी राजधानी राजगृह बसी हुई थी ।

२. वैद्यक में एक प्रकार का रस जो अभ्रक, सोने, ताँबे, गंधक और लोहे आदि से तैयार किया जाता है और जो ज्वर के लिये बहुत उपकारी माना गया है ।