रतनजोत
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनरतनजोत संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रत्न + ज्योति]
१. एक प्रकार की मणि ।
२. एक प्रकार का बहुत छोटा क्षुप जो कश्मीर और कुमाऊँ में अधिकता से होता है । विशेष—इसके डंठल प्रायः डेढ़ बालिशत तक लंबे होते हैं, जिनमें काहू के पत्तों के से, प्रायः चार अंगुल तक लंबे और कुछ अनीदार पत्ते और छोटे छोटे फूलों तथा फलों के गुच्छे लगते हैं । इसकी जड़ लाल रंग की होती है, जिससे लाल रंग निकाला जाता है और तेल आदि रँगे जाते हैं । वैद्यक में यह गरम, रुक्ष, पित्तज, त्रिदोपनाशक तथा जीर्णज्वर, प्लीहा, शोथ आदि को दूर करनेवाली कही गई है । इसके कई भेद होते हैं, जिनमें से एक के डंठल और पत्ते अपेक्षाकृत बड़े होते हैं; और एक छत्ते के आकार की होती है जिसकी पत्तियाँ बहुत छोटी होती हैं । वैद्यक के अनुसार इन सबके गुण भी भिन्न भिन्न होते हैं; और इनका व्यवहार औषध रूप में होता है ।
३. वृहद्दंती । बड़ी दंती । वि॰ दे॰ 'दंती' ।