प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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रट संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ रटना] किसी शब्द का बार बार उच्चारण करने की क्रिया । जैसे,—तुमने तो 'लाओ', 'लाओ' की रट लगा दी है । उ॰—(क) राम राम रटु बिकल भुआलू ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) केशव वे तुहि तोहि रटै रट तोहिं इतै उनही की लगी है । - केशव (शब्द॰) । (ग) जैसी रट तोहिं लागी माधव की राधे ऐसी, राधे राधे राधे रट माधवै लगी रहै ।— पद्माकर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—मचाना । लगना ।—लगाना ।