प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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रंदा संज्ञा पुं॰ [सं॰ रदन(=काटना, चीरना)] बढ़ई का एक औजार जिससे वह लकड़ी की सतह छीलकर बरावर और चिकनी करता है । विशेष— इस औजार में एक चौपहल लंबी और चिकनी सतहवाली लकड़ी के बीच में एक छोटा लंबा छेद होता है, जिसमें एक तेज धारवाला फल जड़ा रहता है । इसे हाथ में लेकर किसी लकड़ी पर बार बार रगड़ने या चलाने से उसके ऊपर से उभरी हुई सतह उतरने लगती है और थोड़ी देर में लकड़ी की सतह चिकनी हो जाती है ।