यारी संज्ञा स्त्री॰ [फा॰] १. मैत्री । मित्रता । उ॰— यारि फेरि के आय पै जरति न मोरे अंग । रूप रोसनी पै झपै नेही नैन पतंग ।—रसनिधि (शब्द॰) । २. स्त्री और पुरुष का अनुचित प्रेम या संबंध । क्रि॰ प्र॰—गाँठना ।—जोड़ना ।