यद्यपि अव्य॰ [सं॰] अगरचे । हरचंद्र । बाबजूद कि । उ॰—यद्यपि ईंधन जरि गीए अरिगण केशवदास । तदपि प्रतापानलन की पल पल बढ़त प्रकास ।— केशव (शब्द॰) ।