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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

म्लेच्छ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मनुष्यों की वे जातियों जिनमें वर्णाश्रम धर्म न हो । इस शब्द का अर्थ है—अस्पष्टभाषी अथवा ऐसी भाषा बोलनेवाला जिनमें वर्णों का व्यक्त उच्चारण न होता हो । विशेष—प्राचीन ग्रंथों में म्लेच्छ शब्द का प्रयोग उन जातियों के लिये होता था, जिनकी भाषा के भाषा उच्चारण की शैली आर्यों की शैली से विलक्षण होती थी । ये जातियाँ प्रायः ऐसी थीं जिनका आर्यों के साथ संपर्क था; इसीलिये म्लेच्छ देश भी भारत के अंतर्गत माना गया है और म्लेच्छों को वर्णाश्रमधर्म से रहित यज्ञ करनेवाला लिखा है । महाभारत के आदिपर्व मे म्लेच्छों की उत्पत्ति विश्वामित्र से छीनकर ले जाते समय वशिष्ठ की धेनु नंदिनी के अंग प्रत्यंग से लिखी गई है और पह्लव, द्रविड, शक, यवन, शबर, पौंड् र किरात, यवन, सिंहल, बर्बर, खंस आदि म्लेच्छ माने गए हैं । पुराणों में म्लेच्छों की उत्पत्ति में मतभेद है । विष्णुपुराण में लिखा है कि सगर ने हैहयवंशियों को पराजित कर उन्हें धर्मच्युत कर दिया था और वही लोग शक, यवन, कावोज, पारद और पह्लव नामक म्लेच्छ जाति के हो गए । मत्स्यपुराण में राजा वेणु के शरीरमंथन से म्लेच्छ जाति की उत्पत्ति लिखी गई है । बृहत्संहिता में हिमालय और विंघ्यागिरि तथा विनशन और प्रयाग के मध्य के पवित्र देश के अतिरिक्त अयन्त्र को म्लेच्छ देश लिखा है । बृहत्पारशर में चातुर्वण और अंतराल वर्णो के अतिरिक्त वर्णाचारहीन को म्लेच्छ लिखा है; और प्रायश्चित्ततत्व में गोमांसभक्षी, विरुद्धभाषी और सर्वाचारविहीन ही म्लेच्छ कहे गए हैं ।

२. ताम्र । ताँवा धातु (को॰) ।

३. अनार्य भाषा वा कथन (को॰) ।

४. हिंगु । हींग ।

म्लेच्छ ^२ वि॰

१. नीच ।

२. जो सदा पाप कर्म करता हो । पापरत । यौ॰—म्लेच्छकंद । म्लेच्छजाति=अनार्य या असंस्कृत जाति । म्लेच्छदेश=चातुर्वर्ण्य व्यवस्था से रहित अनार्य देश । म्लेच्छ भाषा=विदेशी भाषा । अनार्य भाषा । म्लेच्छभोजन । म्लेच्छ मंडल=म्लेच्छ देश । म्लेच्छमुख । म्लेच्छवाक्=म्लेच्छभाषा ।