प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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मौक्तिकमाला संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] ग्यारह अक्षरों को एक वर्णिक वृत्ति की नाम जिसके प्रत्येक चरण का पहला, चौथा, पाँचवाँ, दसवाँ और ग्यारहवाँ अक्षर गुरु और शेष लघु होते हैं तथा पाँचवें और छठे वर्ण पर यति होती है । इसे 'अनुकूला' भी कहते हैं । उ॰—भीति न गंगा जग तुव दाया । सेवत तोहि मनं बच काया । नासहु बेगी मम भवशूला । हौ तुम माता जग अनुकूला ।—छंद॰, पृ॰ १६३ ।