मोट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमोट ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं मोट ( = गट्ठर) हिं॰ मोटरी] गठरी । मोटरी । उ॰—(क) जोग मोट सिर बोझ आनि तुम कत धौं घोष उतारी ।—सूर (शब्द॰) । (ख) नट न सीस सवित भई लुटी सुखन की मोट । चुप करिए चारी करति सारी परी सरोट ।—बिहारी (शब्द॰) । (ग) नाम ओट लैत ही निखोट होत खोटे खल, चोट बिनु मोट पाय भयो न निहाल को ।— तुलसी (शब्द॰) ।
मोट ^२ संज्ञा पुं॰ चमड़े का बड़ा थैला जिसके द्वारा खेत सींचने के लिये कुएँ से पानी निकाला जाता है । चरसा । पुर । उ॰— संगति छो़ड़ि करै असरारा । उबहे मोट नरक की धारा ।— कबीर (शब्द॰) ।
मोट पु † ^३ वि॰ [हिं॰ मोटा]
१. जो बारीक न हो । मोटा ।
२. कम मोल का । साधारण । उ॰—भूमि सयन पट मोट पुराना । दिए डारि तन भूपन नाना ।—तुलसी (शब्द॰) । वि॰ दे॰ 'मोटा' । यौ॰—मोट भर = गठरी भर । बहुत ज्यादा । उ॰—ताकै कहा गँवार मोट भर बाँध सिताबी ।—पलटू॰, पृ॰ १४ ।