प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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मो ^३ संबोधन [सं॰] हे । हो ।(हिदीं में क्व॰) ।

मो पु सर्व [सं॰ मम]

१. मेरा । उ॰—मो संपाति यदुपति सदा बिपति बिदारनहार ।—बिहारी (शब्द॰) ।

२. अवधी औ र ब्रजभाषा में 'मैं' का वह रूप जो उसे कर्ताकारक के अतिरिक्त और किसी कारक का चिह्न लगने के पहले प्राप्त होता है । जैसे, मोकों, मोंसों, इत्यादि ।