मूली
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमूली ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मूलक]
१. एक पौधा जो अपनी लंवी मूलायम जड़ के लिये वोया जाता है । यह जड़ खाने में मीठी, चपरी और तीक्ष्ण होती है । विशेष—मूली साल में दो वार बोई जाती है; इससे प्रायः सब दिन मिलती है । मूली की जड़ नीचे की ओर पतली और ऊपर की ओर मोटी होती जाती है । इसकी कई जातियाँ होती हैं । साधारणतः मूली एक वालिश्त लंवी और दो ढाई अंगुल मोटी होती है । पर वड़ी मूली हाथ हाथ भर लंवी और चार पाँच अंगुल तक मोटी होती है । नेपाल देश में उत्पन्न होने के कारण इसे नेवाड़ या नेवार भी कहते हैं । यह खाने में मीठी होती है और इसमें कडुवापन या चरपराहट नहीं होती । मूली का रंग सफेद होता है; पर लाल रंग की मूली भी अब हिंदुस्तान में वोई जाने लगी है, जिसे विलायती मूली कहते हैं । इसकी जड़ से सरसों के से लंबे लंबे पत्ते ऊपर की ओर निकलते हैं । बीज छोटे और काले होते हैं । इन बीजों में से एक प्रकार का दुर्गंध- युक्त तेल निकलता है, जिसमें गंधक का बहुत कुछ अंश रहता है । मूली अधिक्तर कच्ची या शाक के रूप में पकाकर खाई जाती है । बीज दवा के काम में आते हैं । मूली साधारणतः उत्तेजक, मूत्रकारक और अश्मरीनाशक होती है । मूत्रकृच्छ्र आदि रोगों में इसका सेवन हितकर है । भावप्रकाश के अनुसार छोटी मूली कटुरस, उष्णवीर्य, रुचिकारक, लघु, पाचक, त्रिदोषनाशक, श्वरप्रसादक तथा ज्वर, श्वास, नासारोग, कंठरोग और चक्षुरोग को दूर करनेवाली है । बड़ी मूली या नेवाड़ रूखी, उष्णवीर्य, गुरु और त्रिदोषनाशक है । पर्या॰—(छोटी मूली) शालाक । कटुक । मिश्र । वालेय । मरुसंभब । चाणक्यमूलक । मूलकपोतिका । मुहा॰—(किसी को) मूली गाजर समझना=अति तुच्छ समझना । नाचीज गिनना ।
२. एक प्रकार का बाँस ।
३. जड़ी बूटी । मूलिका ।
मूली ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. ज्येष्ठी ।
२. मत्स्यपुराण के अनुसार एक नदी का नाम । छोटी छिपकिली (को॰) ।
मूली ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मूलिन्] वृक्ष । पेड़ [को॰] ।