प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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मूँछ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ श्मश्रु, प्रा॰ मस्सु > मच्छु > मुच्छ > हिं॰ मूँछ] ऊपरी ओंठ के ऊपर के बाल जो केवल पुरुषों के उगते हैं । ये बाल पुरुषत्व का विशेष चिन्ह माने जाते हैं । विशेष—'मूँछों पर हाथ फेरना' हिंदुओं में बहुत दिनों से वीरता की अकड़ दिखाने का संकेत माना जाता है । रणक्षेत्र में वीर लोग मूँछों पर ताव देते हुए चढ़ाई करते कहे जाते हैं । किसी कठिन काम से सफलता होने पर भी लोग मूँछों पर ताव देते है । पृथ्वीराज चौहान के चाचा कण्ह या कन्ह के विषय में प्रसिद्ध है कि उनकी आँखों पर दरबार में सदा पट्टी बँधी रहती थी; क्योंकि जिस किसी का हाथ वे मूँछों पर जाते देखते थे, उसका सिर उड़ा देते थे । पृथ्वीराजरासों के एक अध्याय में कन्ह की इसी कथा का विस्तृत वर्णन है । मुहा॰—मूँछ नीची करना = हेठा बनना । छोटा हो जाना । बेइज्जत हो जाना । उ॰—पर जिस काम के करने से मुझको अपनी मूँछ नीची करनी पड़ेगी, उस काम को मैं जी रहते न कर सकूँगा ।—ठेठ॰, पृ॰ ११ । मूँछें उखाड़ना = कठिन दंड देना । घमंड चूर करना । (गाली) । मूँछे नीची होना = (१) लज्जित होना । घमंड टूट जाना । मूँछें मूड़वाना = हार मान लेना । पुरुषत्व का दावा त्याग देना । जैसे,—यह बात सत्य हुई तो मूँछें मुड़वा दूँगा । मूँछों पर ताव देना = अभिमान से मूँछ मरोड़ना । बीरता की अकड़ दिखाना । (२) अप्रितिष्ठा होना । बेइज्जती होना । मूछों का हाथ फेरना = दे॰ 'मूँछो पर ताव देना' । मूँछों का कूँड़ा करना = एक मुसलमानी रस्म जो बेटे के मूँछें निकलने पर होती है ।