मीन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमीन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मछली । उ॰— (क) कहि न सकत कछु चितवत ठाढ़े । मीन दीन जनु जल ते काढ़े ।—मानस, २ । ७० । (ख) बिरंच महादेव से मीन बहुतै जहाँ होय परगट कभी जोत मारा ।—चरण॰ बानी, पृ॰ १३० ।
२. मेष आदि राशियों में से अंतिम या बारहवीं राशि । विशेष— इस राशि में पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का अंतिम पद और उत्तर भाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र हैं । इस राशि की अधिष्ठात्री देवियाँ दो मछलियाँ हैं और यबह चरणरहित, कफ- प्रकृति, जलचारी, निःशब्द, पिंगलवर्ण, स्निग्ध, बहुत संतानवाली और ब्राह्मण वर्ण की मानी गई है । कहते हैं, इस राशि में जो जन्म लेता है, वह क्रोधी, तेज चलनेवाला, अपवित्र और अनेक विवाह करनेवाला होता है । पर्या॰—कीट । जलज । सौभ्य । अंगन । युग्म । सय । भक्ष्य । गुरुक्षेत्र । दीनात्मक ।
३. मेष आदि बारह लग्नों में से अंतिम लग्न । विशेष— फलित ज्योतिष के अनुसार इस लग्न में जन्म लेनेवाला कार्यदक्ष, अल्पभोजी, स्त्री का बहुत कम साथ करनेवाला, चंचल, अनेक प्रकार की बातें करनेवाला, धूर्त, तेजस्वी, बलवान्, विद्वान्, धनवान्, चर्मरोगी, विकृतमुख, पराक्रमी, पवित्रतापूर्वक और शास्त्रानुकूल आचार आदि से रहनेवाला, विनीत, संगीतप्रेमी, कन्या संततिवाला, कीर्तिशाली, विश्वासी और धीर होता है और इसकी मृत्यु मूत्रकृच्छु, गुह्य रोग या उपवास आदि से होती है ।