प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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माह ^१ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰]

१. मास । महीना । उ॰—सखि हे हामारि दुखेर नाहि ओर । ए भर बादर माह भादर, शून्य मंदिर मोर ।—विद्यापति, पृ॰ ४७३ ।

२. चंद्रमा । चाँद । उ॰—छिपी थी सो एक माह मद की छबीली । मशाता हो ईदी निगारत दिखाया ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ७३ ।

माह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ माष, प्रा॰ माह] माप । उड़द ।

माह † ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ माघ, प्रा॰ माह] माघ नाम का महीना । उ॰—(क) गहली गरव न कीजिए समै सुहागहि पाय । जिय की जीवनि जेठ सो माह न छाहँ सुहाय ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) नाचैंगी निकसि शशिबदनी बिहँसि तहाँ को हमैं गनत मही माह में मचति सी ।—देव (शब्द॰) ।

माह पु ^४ अव्य॰ [सं॰ मध्य] दे॰ 'माहँ' । उ॰—सोहत अलक कपोल पर बढ़ छवि सिंधु अथाह । मनौ पारसी हरफ इक लसत आरसी माह ।—स॰ सप्तक, पृ॰ ३४६ ।

माह ^५ संज्ञा पुं॰ [देशी] कुंद का फूल [को॰] ।