माय
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमाय पु † ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मातृ]
१. माता । माँ । जननी । उ॰— जसुमति माय लाल अपने को शुभ दिन डोल झुलायो ।— सूर (शब्द॰) ।
२. किसी बड़ी वा आदरणीय स्त्री के लिये संबोधन का शब्द । उ॰— तब जानकी सासु पग लागो । सुनिय माय मै परम अभागी ।— तुलसी (शब्द॰) ।
माय ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ माया] दे॰ 'माया' । उ॰— (क) ईश माय बिलोकि कै उपजाइयो मन पूत ।—केशव (शब्द॰) । (ख) मुनि वेप किए किधौं ब्रह्म जीव माय हैं ।—तुलसी (शब्द॰) ।
माय ^३ अव्य॰ [सं॰ मध्य] दे॰ 'माहि' । उ॰— पाछे लोक पाल सब जीते सुरपति दियो उठाय । बरुण कुबेर अग्नि यम मारुत स्वबस किए क्षण माय ।—सूर (शब्द॰) ।
माय ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पीतांबर ।
२. असुर ।
माय ^५ वि॰ [सं॰] मायावी । माया करनेवाला [को॰] ।