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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

मानिक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ माणिक्य] एक मणि का नाम । विशेष—यह लाल रंग का होता है और हीरे को छोड़कर सबसे कड़ा पत्थर है । रासायनिक विश्लेपण द्वारा मानिक में दो भाग अल्यूमिनम और तीन भाग आक्सिजन का पाया जाता है, जिससे रसायनशास्त्रियों के मत से यह कुरंड की जाति का पत्थर प्रतीत होता है । इसमें एक और विशेषता यह भी है कि बहुत अधिक ताप से सुहागे के योग से यह काँच की भाँति गल जाती है और गलने पर इसमें कोई रंग नहीं रह जाता । आजकल के रासायनिकों ने काँच से नकली मानिक बनाया है जो असली मानिक से बहुत कुछ मिलता जुलता होता है । मानिक पत्थर गहरे लाल रंग से लेकर गुलाबी रंग और नांरगी से लेकर बैगनी रंग तक के मिलते हैं । मानिक की दो प्रधान जातियाँ है —नरम चुन्नी और मानिक । नरम चुन्नी का विश्लेषण करने से मैग्निश्यिम्, अल्यूमिनम और आक्सिजन मिलते है । उसपर यदि मानिक से रगड़ा जाय, तो लकीर पड़ जाती है । अगस्त जी के मत से मानिक के तीन प्रधान भेद हैं— पद्मराग, कुरुविंद और सौगंधिक । कमल पुष्प के समान रंगवाला पद्मराग गाढ़ रक्तवर्ण सा ईषत् नील वर्ण सौगंधिक और टेसू के फूल के रंग का कुरुविंद कहलाता है । इनमें सिहंल में पद्मराग, कालपुर और आध्रं में कुरुविद और तुंकर में सौगंधिक उत्पन्न होता है । मतांतर से नीलगंधिक नामक एक और जाति का मानिक होता है जो नीलापन लिए रक्तवर्ण या लाखी रंग का माना गया है । इसकी खाने बरमा, स्याम, लंका, मध्य एशिया युरोप आस्ट्रेलिआ आदि अनेक भूभागों में पाई जाती है । जिस मानिक में चिह्न नहीं होते और चमक अधिक होती है, वह उत्तम माना जाता है और अधिक मूल्यवान् होता है । वैद्यक में मानिक को मधुर, स्निग्ध और वात-पित्त-नाशक लिखा है । पर्या॰—पद्मराग । कुरुविद । शोणरत्न । सौगंधिक । लौहितक । तरुण । श्रृंगारी । रविरत्नक ।

मानिक ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] आठ पल का एक मान ।