प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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माथा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मस्तक, प्रा॰ मथ्थअ]

१. सिर का ऊपरी भाग । मस्तक । मुहा॰—माथा कूटना= दे 'माथा पीटना' । माथा विसना= नभ्रता प्रकट करना । मिन्नत खुशामद करना । माथा खपाना या खाली करना=बहुत अधिक समझाना या सोचना । सिर खपाना । मगजपच्ची करना । (किसी के आगे) माथा झुकाना या नवाना=बहुत अधिक नम्रता या अधीनता प्रकट करना । माथा टेकना=सिर झुकाकर प्रणाम करना । माथा ठनकना=पहले स ही किसी दुर्घटना या विपरीत बात होने की आशंका होना । उ॰— दूसरे पहर पर आए वहाँ भी सन्नाटा । माथा ठनका कि कुछ दाल में काला है ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २२३ । माथा घुनना=दे॰ 'माथा पीटना' । माथापच्चा करना=दे॰ 'माथा खपाना' । माथा पाटना= सिर पर हाथ मारकर बहुत अधिक दुःख या शोक करना । माथा मारना=दे॰ 'माया खपाना' । माथा रगड़ना=दे॰ 'माथा घिसना' । माथे चढ़ाना या धरना=शिरोधार्य करना । सादर स्वीकार करना । उ॰— मम आयुस तुम माथे धरौ । छल बल करि मम कारज करौ ।—सूर (शब्द॰) । माथे टिका होना=किसी प्रकार की विशेषता या अधिकता होना । जैसे,— क्या तुम्हार माय टीका हे जो तुम्हीं को सब चीजें दे दी जार्य? साथे माथे पड़ना= उत्तरदायत्व आ पड़ना । ऊपर भार आ पड़ना । जैसे,— वह तो खिसक गए; अब सब काम हमारे माथे आ पड़ा । माथे पर चढ़ना=दे॰ 'सिर पर चढ़ाना' । माथे पर बल पड़ना=आकृति से क्रोध दुःख या असंतोष आदि के चिह्न प्रकट होना । शक्ल से नाराजगी जाहिर होना । जैसे,—रुपए की बात सुनते ही उनके मथे पर बल पड़ गए । माथे भाग होना=भाग्यवान् होना । तकदीरवर होना । माथे मढ़ना=गले बाँधना । गले मढ़ना । जबरदस्ती देना । माथे मानना= शिरोधार्य करना । सादर स्वीकर करना । उ॰—(क) कह रविसुत मम कारज होई । माथे मानि करव हम सोई ।—तबलसिह (शब्द॰) ।(ख) सूरदास प्रभु कि जिय भावे आयुस माथे मान ।— सूर (शब्द॰) । माथे मारना=बहुत ही उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक किसी को कुछ देना । बहुत तुच्छ भाव से देना । जैस,—वह रोज तगादा करता है; उसका किताब उसके माथ मारो । माथे लना=माथे धरना या मानना । अंगीकार करना । उ॰— फगुआ कुंबरि कान्ह बहु दानों । प्रेम प्रीत कार माय लीनों ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३९३ । यौ॰— माथापच्चो या माथापिट्टन=बहुत अधिक बकना या समझना । सिर खपाना । मगजपच्ची करना ।

२. वह चित्र आदि जिनमे मुख और मस्तक की आकृति बनी हो । (लश॰) ।

३. किसी पदाथ का अगला या ऊपरी भाग । जैस, नाव का माथा, आलमारा का माथा । मुहा॰— माथा मारना=जहाज का वायु के विपरीत इस प्रकार जोर मारकर चलना कि मस्तूल, पाल तथा ऊपरी भागों पर बहुत जार पड़ ।

४. यात्रा । सफर ।

५. खेप । (लश॰) ।

माथा ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का रेशमी कपड़ा ।