माँड़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमाँड़ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मण्ड] पकाए हुए चावलों में से निकला हुआ लसदार पानी । बात का पसेव । पीच । पसाव । उ॰—चावल रँग माँड भैडै भनसै ।—घट॰, पृ॰ ८७ ।
माँड़ ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ माँडना]
१. माड़ने की क्रिया या भाव ।
२. सँवारी या बनावटी बात । झूठी बात । उ॰—पाड्यो कहु कइ परतिष (इ) भाँड़ । झूठ कथइ छइ बोलई छइ माँड़ ।—बी॰ रासो॰, पृ॰ ४१ ।
माँड़ ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का राग ।