नामवाचक संज्ञा

महाभारत [पु]

  1. (हिन्दू धर्म) एक प्राचीन कहानी जो एक महायुद्ध के बारे है; इसके अंतर्गत भगवद-गीता भी है

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

महाभारत संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक परम प्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक महाकाव्य जिसमें कौरवों और पांडवों के युद्ध का वर्णन है । विशेष—यह ग्रंथ आदि, सभा, वन, विराट, उद्योग भीष्म द्रोण,कर्ण, शल्य, सौप्तिक, स्त्री, शांति, अनुशासन, अश्वमेघ, आश्रमवासी, मौसल, महाप्रस्थान और स्वर्गारोहण इन अट्ठारह पर्वों में विभक्त है । कुछ लोग हरिवंश पुराण को भी इसी के अंतर्गत और इसका अंतिम अंज मानते हैं । इस ग्रंथ में लगभग ८०-९० हजार श्लोक हैं । ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों द्दष्टियों से इस ग्रंथ का महत्व बहुत अधिक है । यों तो महाभारत ग्रंथ कौरव-पांडव-बृध्द का इतिहास ही है पर इसमें वैदिक काल की यज्ञों में कही जानेवाली अनेक गाथाओं और आख्यानों आदि के संग्रह के अतिरिक्त धर्म, तत्वज्ञान, व्यवहार,राजनीति आदि अनेक बिषयों का भी बहुत अच्छा समावेश है । कहते है, कौरब-पांडव-बुध्द के उपरांत व्यास भी ने 'जय' नामक ऐतिहासिक काब्य की रचना की थी । वैशंपायन ने उसे और बड़ाकर उनका नाम 'भारत' रजा । सबके पीछे सोति ने उसमें और भी बहुत सी कथाओं आदि का समावेश करके उसे वर्तमान रुप देकर 'महाभारत' बना दिया । महाभारत में जिन बातों का वर्णन है, उसके आधार पर एक ओर तो यह ग्रंथ वैदिक साहित्य तक जा पहुँचता है और दूसरी ओर जैनों तथा बौद्धों के आरंभिक काल के साहित्य से आ मिलता है । हिंदू इसे बहुत ही प्रामाणिक धर्मग्रंथ मानते हैं ।

२. कोई बहुत बड़ा ग्रंथ ।

२. कौरवों और पांडवों का प्रसिद्ध युद्ध जिसका वर्णन उक्त महाकाव्य में है ।

४. कोई बड़ा युद्ध या लड़ाई झगड़ा । जैसे, यूरोपीय महाभारत । उ॰—अबकी बार प्रत्यक्ष महाभारत होइ गया ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३०७ ।