मर्याद संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मर्य्यादा] दे॰ 'मर्य्याद' । उ॰—रोक रहजन को प्रगति का, फेर से, बाधक जो हो । दर बदर भटका उसे,मर्याद तू जब तक न कर ।—बेला, पृ॰ ६८ ।