मर्द
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमर्द ^१ संज्ञा पुं॰ [फा॰ तुल॰ सं॰ मर्त और मर्त्य]
१. मनुष्य । पुरुष । आदमी ।
२. साहसी पुरुष । पुरुषार्थी मनुष्य । उ॰— मर्द शीश पर नवे मर्द बोली पहिचाने । मर्द खिलावे खाय मर्द चिता नहिं आने । मर्द देय औ लेय मर्द को मर्द बचावे । गहिरे सकरे काम मर्द के मर्दै आवै । पुनि मर्द उन्हीं की जानिए दुख सुख साथी कर्म के । बैताल कहै सुन विक्रम, तू ये लक्षण मर्द के ।— (शब्द॰) । महा॰—मर्द आदमी=(१) भला आदमी । सम्य पुरुष । (२) वीर । बहादुर । मर्दं बच्चा=वीर बालक । मर्द की दुम= अपने को बहादुर लगानेवाला (व्यंग्य) । उ॰— बड़े मर्द की दुम हो होली चलाओ न जब जानें ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ९० ।
३. वीर पुरुष । योद्धा । जवान । उ॰— चलेउ भूप गोनर्द वर्द वाहन समान बल । संग लिए बहु मर्द गर्द लखि होत अपर- दल ।— गिरधरदास (शब्द॰) ।
४. पुरुष । नर । जैसे—मर्द और औरतें ।
५. पति । भर्ता ।
मर्द ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] पीसना । मर्दन [को॰] ।