मरीचि
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमरीचि ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक ऋषि का नाम । विशेष— पुराणों में इन्हे ब्रम्हा का मानसिक पुत्र लिखा है, एक प्रजापति माना है और सप्तर्षियों में गिनाया गया है । किसी किसी पुराण में इनकी स्त्री का नाम 'कला' और किसी किसी में 'संभूति' लिखा है ।
२. एक मरुत् का नाम ।
३. एक ऋषि का नाम जो भृगु के पुत्र और कश्यप के पिता थे ।
४. दनु के एक पुत्र का नाम ।
५. प्रियव्रतवंशी एक राजा का नाम ।
६. एक प्राचीन मान जो छह त्रसरेणु के बराबर होता है ।
७. एक दैत्य का नाम ।
८. कृष्ण का एक नाम (को॰) ।
९. एक पुरातन स्मृतिकार का नाम (को॰) ।
१०. कृपण । कदर्य (को॰) ।
मरीचि ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. किरण । उ॰— (क) अति सुकुमारी वृषभान की दुलारी सो कैसे सहे प्यारी मरीचै मारचंड की ।— सरलाबाई (शब्द॰) । (ख) कित्ति सुधा दिग भित्त पखारत चंद मरीचिन को कारि कूचो ।—मतिराम (शब्द॰) । (ग) रघुनाथ पिय बस करिबे को चली बाल मुख की मरीचि जल दिसि मढ़ि लै लई ।— रघुनाथ (शब्द॰) ।
२. प्रभा । कांति । ज्योति । उ॰— कीघौं मृगलोचन मरीचिका मरीचि किधौ रूप की रुचिर रुचि शुचि सों दुराई है ।— केशव (शब्द॰) ।
३. मरीचिका । मृगतृष्णा । उ॰— बीच मरीचिनु के मृग लौं अब धावै न रे सुन काहु नरिंद के ।— देव (शब्द॰) ।