प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

मनोविकार संज्ञा पुं॰ [सं॰] मन की वह अवस्था जिसमें किसी प्रकार का सुखद या दुःखद भाव, विचार या विकार उत्पन्न होता है । जैसे, राग, द्वेष, क्रोध, दया आदि चित्तवृत्तियाँ । चित्त का विकार । विशेष— मनोविकार किसी प्रकार के भाव या विचार के कारण होता है और उसके साथ मन का लक्ष्य किसी पदार्थ या बात की ओर होता है । जैसे, किसी को दुखी देखकर दया अथवा अत्याचारी का अत्याचार देखकर क्रोध का उत्पन्न होना । जिस समय कोई मनोविकार उत्पन्न होता है, उस समय कुछ शारीरिक विक्रिया्र्ए भी होता है; रोमांच, स्वेद, कंप आदि पर ये विक्रियाएँ साधारणतः इतनी सूक्ष्म होती हैं कि दूसरों का दिखाई नहीं देतीं । हाँ, यदि मनोविकार बहुत तीव्र रुप में हो, तो उसके कारण होनेवाली 'शारीरिक विक्रिवाएँ' अवश्य ही बहुत स्पष्ट होती है और बहुवा मनुष्य की आकृति से ही उसके मनोविकारों का स्वरुप प्रकट हो आता है । क्रि॰ प्र॰—उठना ।—होना ।