मनका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन
शब्दसागर सम्पादन
मनका ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मणिक या मणिका]
१. पत्थर लकड़ी आदि का वेधा हुआ गोल खंड या दाना जिसे पिरोकर माला या सुमिरनी आदि बनाई जाती है गुरिया । उ॰— माला फेरत जग सुआ गया न मन का फेर । कर का मनका छाँड़ि के मन का मनका फेर ।—कबीर (शब्द॰) ।
२. माला या सुमिरनी । (क्व॰) ।
मनका ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मन्यका ( = गले की नस)] गरदन के पीछे की हड्डी जो रीढ़ के बिलकुल ऊपर होती है । मुहा॰—मनका ढलना या ढलकना = मरने के समय गरदन टेढ़ी हो जाना । मृत्यु के समय गरदन का एक ओर झुक जाना । विशेष—वह अवस्था ठीक मरने के समय होती है; और इसके उपरांत मनुष्य नहीं बचता ।