मता
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमता † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मत] दे॰ 'मत' । उ॰—(क) पलटू चाहै हरि भगति ऐसा मता हमार ।—पलटू॰, भा॰ १, पृ॰ २७ । (ख) केचित मता अधोरी लिया । अंगीकृत दोऊ का कीया ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा १, पृ॰ ९९ ।
मता ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मति] दे॰ 'मति' । उ॰—यही मता हम तुम कहँ दीन्हा । दूसर कोई न पावै चीन्हा ।—कबीर॰ सा॰, पृ॰ १०१७ ।
मता पु॰ ^३ वि॰ [सं॰ मत्तक] दे॰ 'मत्त' । उ॰—कंठगी रंमता । वारुनी पी मता—पृ॰ रा॰, १ ।६५० ।