मकोय
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनमकोय संज्ञा स्त्री॰ [मं॰ काकमाता या काकमात्री से विपर्यय]
१. एक प्रकार का क्षुप जिसके पत्ते गोलाई लिए लंबोतरे होते हैं और जिसमें सफेद रंग क छोटे फूल लगते हैं । क्बैया । विशेप—फल के विचार से यह क्षुप दो प्रकार का होता है । एक में लाल रंग के और दूसरे में काले रंग के बहुत छोटे छोटे, प्रायः काली मिर्च के आकार और प्रकार के, फल लगते हैं । इसकी पत्तियों और फलों का व्यवहार ओषधि के रूप में होता है । इसके पत्ते उबालकर रोगियों को दिए जाते हैं । इसके क्वाथ को मकीय की भुजिया कहते हैं । वैद्यक में इसे गरम, चरपरी, रसायन, स्निग्ध, वीर्यवर्धक, म्वर को उत्तम करनेवाली, हृदय और नैत्रों को हितकारी, रुचिकारक, दस्तावर और कफ, शूल, बवासीर, सूजन, त्रिदोष, कुष्ठ, अतिसार, हिचकी, वभन, श्वास, खाँसी और ज्वर आदि को दूर करनेवाली माना जाता है ।
२. इस क्षुप का फल ।
३. एक प्रकार का कँटीला पौधा जिसके फल खटमिट्ठे होते हैं । विशेष—यह पौधा प्रायः सीधा ऊपर की ओर उठता है । इसमें प्रायः सुपारी के आकार के फल लगते हैं जो पकने पर कुछ ललाई किए पीले रग के होते हैं । ये फल एक प्रकार के पतले पत्तों के आवरण में बंद रहते हैं । फल खटमिट्ठा होता है और उसमे एक प्रकार का अम्ल होता है जिसके कारण वह पाचक होता है ।
४. इस पौधे का फल । रसभरी ।