मंत्रयुद्ध संज्ञा पुं॰ [सं॰ मन्त्रयुद्ध] केवल बातचीत या बहस के द्वारा शत्रु को वश में करने का प्रयत्न । विशेष—कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में इस विषय का एक अलग प्रकरण (१६३ वाँ) ही दिया है ।