प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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भ्रष्टाचार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह आचरण जो उचित न हो ।

२. नोच खसोट, छीना झपटी, बलप्रयोग । उत्कोच आदि दुर्गुर्णो से भरा हुआ आचरण । उ॰—हमें पुनः सहकारी कर्मचारियों एवं जनता के मन में भय पेदा करना होगा क्योंकि भय न होने से ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा है ।

भ्रष्टाचार ^२ वि॰ दूषित आचरणवाला । बेईमान ।