प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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भेव पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ भेद, प्रा॰ भेप्र]

१. भेदने की क्रिया । छेदने या अलग करने की क्रिया ।

२. प्राचीन राजनीति के अनुसार शत्रु को वश में करने के चार उपायों में से तीसरा उपाय जिसके अनुसार शत्रुपक्ष के लोगों को बहकाकर अपनी ओर मिला लिया जाता है अथवा उनमें परस्पर द्वेष उत्पन्न कर दिया जता है ।

३. भीतरी छिपा हुआ हाल । रहस्य । क्रि॰ प्र॰—देना ।—पाना ।—मिलना ।—लेना ।

४. मर्म । तात्पर्य ।

५. अंतर । फर्क । जैसे,—इन दोनों कपड़ों में बहुत भेद है ।

६. प्रकार । किस्म । जाति । जैसे,—इस वृक्ष के कई भेद होते हैं ।

भेद खोलना ।

३. कहना सुनना ।

४. डाँटना डपटना । भला बुरा कहना । भर्त्सना करना । फटकारना ।

५. जताना । इंगित करना । संकेतित करना ।

भेव ^

१. मर्म की बात । भेद । रहस्य । उ॰— वास्तवीक नृप चल्यो देव वर वामदेव बल । जरासंध नरदेव भेव गुनि मति अभेव भल ।— गोपाल (शब्द॰) ।

२. बारी । पारी । उ॰— चौकी दै जनु अपने भेव । बहुरे देवलोक को देव ।— केशव (शब्द॰) ।