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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

भूतशुद्धि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] तांत्रिकों के अनुसार शरीर की वह शुदि्ध जो पूजन आदि से पहले की जाती है और जिसे बिना किए पूजा का अधिकार नहीं होता । भिन्न भिन्न तंत्रों में इस शुदि्ध के भिन्न विधान दिए गए हैँ । इसमें कई प्रकार के जप और अगन्यास आदि करने पड़ते हैं ।