प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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भूख संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बुभुत्दा]

१. वह शारीरिक बेग जिसमें भोजन की इच्छा होता है । खाने की इच्छा । क्षृधा । यौ॰— भूख प्यास । मुहा॰— भूख मरना =भूख लगने पर अधिक समय तक भोजन न मिलने के कारण उसका नष्ट हो जाना । पेठ में अन्न न होने पर भोजन की इच्छा न रह जाना । भूख लगना =भोजन की इच्छा होना । खाने को जो चाहना । भूखों मरना = भूख लगने पर भोजन न मिलने के कारण कष्ट उठाना या मरना । भूख पियास बिसरना =सुध बुध खो बैठना । मस्त हो जाना । उ॰—तन की सुधि रहि जात जाय मन अँतै अटका । बिसरी भूख पियास किया सुतगुरु ने टोटका । पलटु, भा॰,

१. पृ॰ ३२ ।

२. आवश्यकता । जरुरत (व्यापारी) । जैसे,— अब तो इसे सौदे की भूख नहीं है ।

३. समाई ।— गुंजइश । (क्व॰) ।

४. कामना । अभिलाषा । उ॰— मुख रुखी बातें कहैं जिय में पिय की भूख ।—केशव (शब्द॰) ।

भूख हड़ताल संज्ञा पुं॰ [हिं॰] अनशन ।