भीतरी
संज्ञा
- आंतरिक, अन्दर का
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
भीतरी वि॰ [हिं॰ भीतर + ई (प्रत्य॰)]
१. भीतरवाला । अंदर का । जैसे, भीतरी कमरा; भीतरी दरवाजा । मुहा॰—भीतरी आँखें अंधी होना = विवेक न होना । ज्ञान न होना । उ॰—देख करके ही किसी ने क्या किया, साँसतें स ह जातियाँ कितनी मुईं । तब हुआ क्या बाहरी आँखें बचे, जब कि आँखें भीतरी अंधी हुई ।—चुभते॰, पृ॰ ४९ ।
२. छिपा हुआ । गुप्त । जैसे,—भीतरी बात, भीतरी वैमनस्य ।
३. दे॰ 'भीतरी टाँग' ।
भीतरी टाँग संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भीतरी + टाँग] कुश्ती का एक पेंच । विशेष—जब शत्रु पीठ पर रहता है, तव मौका पाकर खिलाडी भीतर से ही टाँग मारकर विपक्षी को गिराता है । इसी को भोतरी टाँग कहते हैं ।