भावार्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. वह अर्थ वा टीका जिसमें मूल का केवल भाव आ जाय, अक्षरशः अनुवाद न हो । २. अभिप्राय । तात्पर्य । मतलब ।