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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

भखना पु क्रि॰ स॰ [सं॰ भक्षण> प्रा॰ भक्खण]

१. खाना । भोजन करना । उ॰—(क) नीलकंठ कीड़ा भखै मुख वाके है राम । औगुन वाके लगै नहिं दर्शन से ही काम ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) कृमि पावक तेरो तन भखिहैं समुझि देखु मन माँही । दीनदयालु सूर हरि भजि ले यह ओसर फिर नाहिं ।—सूर (शब्द॰) । (ग) क्यों खरि सीतल बास करै मुख ज्यों भखिए घनसार के साटे ।—केशव (शब्द॰) ।

२. निगलना ।