भक्तिन संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ भक्त + हिं॰ इन (प्रत्य॰)] उ॰—भक्तन के भक्तिन होय बैठी ब्रह्मा के ब्रह्मानी । कहैं कबीर सुनो भाइ साधो यह सब अकथ कहानी ।—कबीर॰ श॰, भा॰ १, पृ॰ १५ ।