भंगना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनभंगना † ^१ क्रि॰ अ॰ [हिं॰ भंग + ना (प्रत्य॰)]
१. टूटना ।
२. दबना । हार मानना । उ॰—कहि न जाय छबि कवि मति भगी । चपला मनहुं करति गति संगी ।—गोपाल (शब्द॰) ।
भंगना ^२ क्रि॰ स॰
१. तोड़ना ।
२. दबाना । उ॰—राम रंग ही से रँगरेजवा मोरी अँगिया रँगा दे रे । ओर रंग द्वै दिन चटकीले, देखत देखत होत मटीले, नही अमीरी नहि महकीले, उन रंगन की भंगि दे रे ।—देवस्वामी (शव्द) ।